और अब चुनाव लड़ेंगे शरद पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस अध्यक्ष और महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने कुछ वर्ष पूर्व जब चुनाव नहीं लड़ने की बात की थी तो लोगों ने आमतौर पर मान लिया था कि वे सक्रिय राजनीति में हटकर अपना राजनीतिक उत्तराधिकार अगली पीढ़ को सौंपना चाहते हैं। वे अपने भतीजे अजित पवार को महाराष्ट्र में तथा बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र की राजनीति में रखने का मन बना चुके है। इस दौरान शरद पवार ने महसूस कर लिया कि देश में विपक्ष की राजनीति जिस दौर में चल रही है, उसमें कहीं न कहीं उनके लिए उल्लेखनीय संभावनाएं बन सकती है। राष्ट्रवादी कांग्रेस की सीटें बढ़ाने पर भी उनकी नजर है। यह संक्रमण का दौर है, जिसमें इस बार के चुनाव में मोदी लहर जैसी कोई चीज नहीं है।
विपक्ष महागठबंधन की व्यूह रचना में लगा है,जबकि 3 राज्यों को भाजपा से छीनकर कांग्रेस के हौसदे बुलंद है। उसने उत्तरप्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। कांग्रेसाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा और मध्यप्रदेश के अग्रणी युवा नेता ज्योतिरादित्य को उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटों पर चुनाव की तैयारी के लिए सीटों का बंटवारा भी कर दिया है। मायावती और अखिलेश की पार्टियों का गठबंधन उत्तर प्रदेश में भाजपा के रास्ते में सबसे बड़ी रूकावट साबित होगा।
ऐसे में उत्तर प्रदेश में त्रिकोणीय संघर्ष की पूरी संभावना है। नई संभावनाओं के अनुसार जब माया, ममता, चन्द्रबाबू नायडू और राहुल गांधी सभी प्रधानमंत्री पद के दावेदार प्रतीत होते है तो ऐसी हालत में शरद पवार जैसे अनुभवी और हिकमती राजनेता पीछे क्यों रहे? उन्होंने भी लोकसभा चुनाव न लड़ने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि वे माढ़ा से चुनाव लड़ सकते हैं। पवार ने कहा कि माढ़ा के वर्तमान राकां सांसद विजय सिंह मोहिते पाटिल सहित कई नेताओं की मांग है कि मैं माढ़ा से चुनाव लडूं।
मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है, लेकिन पार्टी नेताओं की मांग पर मैं जरूर विचार करूंगा। इस कथन से लगता है कि पवार अगली संभावनाएं खोज रहे हैं, यदि चुनाव में भाजपा को अपेक्षित बहुमत नहीं मिल पाया और महागठबंधन में नेता पद पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई तो ऐसी स्थिति में राजनीतिक जोड़ तोड़ में माहिर पवार की लाटरी लग सकती है। उन्हें लगता है कि तब वे कम्प्रोमाइज कैडिटेट बन सकते हैं।
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