राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में चूक का अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर
प्रेस24 न्यूज़ – Press24 News, KNMNलोकसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्र सरकार के वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में की गई लोक लुभावन घोषणाओं के कारण राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 3.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.4 फीसदी कर दिए जाने पर अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई गई है। रेटिंग एजेंसी मूडीज, नोमुरा ने सरकार को नकारात्मक असर की चेतावनी दी है। रेटिंग एजेंसियों ने राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर न रख पाने और इसका लक्ष्य बढ़ाने को देश की मौद्रिक साख और वैश्विक रेटिंग पर नकारात्मक प्रभाव (क्रेडिट निगेटिव) वाला कदम करार दिया है।यहां यह बता दें कि अंतरिम बजट आने से करीब एक सप्ताह पूर्व विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि केंद्र सरकार एक बार फिर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी। इस रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.4 फीसदी अधिक रहने की आशंका है।
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल के लिए इसका लक्ष्य बढ़ाकर 3.5 फीसदी रखे जाने का अनुमान है। बोफाएमएल की इसी रिपोर्ट में कहा गया है आगामी बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है। नोट में कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि सरकार 2019-20 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 रखेगी। जबकि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 3.3 फीसदी से बढक़र 3.7 फीसदी रहने का अनुमान है। यह तय लक्ष्य से 0.4 फीसदी अधिक होगा। सरकार ने 2018-19 में राजकोषीय घाटा देश की जीडीपी का 3.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। इससे पिछले साल 3.2 फीसदी के बजट अनुमान के मुकाबले यह संशोधित अनुमान में 3.5 फीसदी पर पहुंच गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की भाजपानीत नरेन्द्र मोदी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान ज्यादातर समय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है। सिर्फ 2014-15 में राजकोषीय घाटा लक्ष्य से मामूली बेहतर रहा था। शेष वर्षों में सरकार मामूली अंतर में इन लक्ष्यों को हासिल करने के पीछे रह गई। चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2018 तक सरकार ने बजट में तय बाजार उधारी का 115 फीसदी खर्च कर लिया था।
माल व सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कम रहने और विनिवेश के मोर्चे पर खराब प्रदर्शन की वजह से यह स्थिति बनी है। विनिवेश के 80 हजार करोड़ रुपए के लक्ष्य के समक्ष सरकार अब तक सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपए ही जुटा पाई है। संसद में बीते शुक्रवार को पेश अंतरिम बजट को लेकर रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि बजट में राजस्व बढ़ाने के उपायों का अभाव है, जबकि खर्च बढ़ाने वाली तमाम घोषणाएं शामिल है। बजट में खपत बढ़ने की बात कही गई है, पर खपत के साथ ही वित्तीय बोझ भी बढ़ेगा। जापानी ब्रोकरेज एजेंसी नोपुरा ने कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में चूक और 2019-20 के लिए उसे लक्ष्य को उसी स्तर पर कायम रखना ‘‘आश्चर्यजनक तौर पर नकारात्मक है।’’
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