दुनियाभर में लाखों अनुयायी बाबा राम सिंह हरियाणा के करनाल के सिंगड़ा गांव के रहने वाले थे। किसान होने के साथ-साथ वो धार्मिक उपदेशक भी थे। जिस वजह से दुनियाभर में उनके लाखों अनुयायी हैं। किसान आंदोलन में बाबा शुरू से ही सक्रिय रहे। इस दौरान वो दिल्ली आए और वहां पर किसानों के लिए रहने-खाने की व्यवस्था की। जब ठंड से किसान परेशान हुए तो बाबा उनके पास कंबल लेकर पहुंचे। बेहद शांत रहने वाले बाबा राम सिंह का विवादों से कोई नाता नहीं था। धार्मिक उपदेशक के साथ ही वो सिख संगठनों में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके थे। किसानों से था खास लगाव सिख धर्म के अलावा भी अन्य धर्मों में उनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। जिस वजह से उन्हें ‘सिंगड़ा वाले बाबा’ के नाम से जाना जाता था। भारत के अलावा वो कई देशों में प्रवचन के लिए जाया करते थे। बाबा के पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन किसानों के प्रति उनका प्यार उन्हें सिंघु बॉर्डर तक खींच लाया। किसानों के अलावा बाबा ने सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी काफी काम किया था। सुसाइड नोट में लिखीं ये बातें सिंधु बॉर्डर पहुंचे बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली। इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डॉक्टरों की टीम ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाबा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि मैंने किसानों का दुख देखा, वो कई दिनों से अपने हक के लिए सड़कों पर हैं। फिर भी सरकार उन्हें न्याय नहीं दे रही। जुल्म करना और सहना दोनों पाप हैं। किसी ने भी किसानों के हक के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने आगे लिखा कि कई लोगों ने किसानों के लिए अपने पुरस्कार वापस किए, ये जुल्म के खिलाफ एक आवाज है। वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।
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