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इस पोस्ट को पीआईबी फैक्ट चेक ने ‘भ्रामक’ बताया
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की तरफ से सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया था, इस पोस्ट को पीआईबी फैक्ट चेक ने 'भ्रामक' बताया है। पीआईबी ने बताया कि फेसबुक पर एक वीडियो के साथ यह दावा किया जा रहा है कि सरकार ने भारतीय रेल पर एक निजी कंपनी का ठप्पा लगवा दिया है। पीआईबी फेक्ट चेक में यह दावा भ्रामक साबित हुआ है। यह केवल एक वाणिज्यिक विज्ञापन है जिसका उद्देश्य केवल 'गैर किराया राजस्व' को बेहतर बनाना है।
प्रियंका ने जो वीडियो रीट्वीट किया असल में 12 दिसंबर को गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने भारतीय रेल को लेकर ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो के साथ कमेंट में हार्दिक पटेल ने लिखा कि भारतीय रेल पर अदानी के फ़्रेश आटे का विज्ञापन देखने लायक़ हैं। अब तो दावे के साथ कह सकते है की किसानों की लड़ाई सत्य के मार्ग पर हैं।
हार्दिक पटेल ने जो वीडियो ट्विटर पर शेयर किया उसमें एक ट्रेन का इंजन दिख रहा है जिसके दोनों तरफ फॉर्चून ब्रांड के आटे का विज्ञापन नजर आ रहा है। साथ ही, एक जगह अडानी विलमार का पोस्टर भी लगा है। हार्दिक पटेल ने चतुराई से अपनी बात कही और अड़ानी को किसान आंदोलन से जोड़ दिया। हार्दिक पटेल के इस पोस्ट को प्रियंका गांधी ने रीट्वीट किया और फिर अपने फेसबुक पेज पर इसी वीडियो को लेकर लिखा कि जिस भारतीय रेलवे को देश के करोड़ों लोगों ने अपनी मेहनत से बनाया, बीजेपी सरकार ने उसपर अपने अरबपति मित्र अडानी का ठप्पा लगवा दिया। कल को धीरे धीरे रेलवे का एक बड़ा हिस्सा मोदीजी के अरबपति मित्रों को चला जाएगा। देश के किसान खेती किसानी को भी आज मोदी जी के अरबपति मित्रों के हाथ में जाने से रोकने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
प्रियंका ने हार्दिक पटेल की बात को थोड़ा आगे बढाया। इसके बाद बचा हुआ काम सोशल मीडिया पर मौजूद अफवाह गैंग ने कर दिया। किसी ने इसी वीडियो को चिपका कर लिखा कि मोदी सरकार ने अडानी ग्रुप को ट्रेन बेच दी है। कोई लिख रहा था कि यही हाल किसानों को जमीन का होने वाला है। कोई वीडियो लगाकर किसानों से आंदोलन तेज करने की अपील कर रहा था।
जो वीडियो हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया और प्रियंका गांधी ने जिसे रीट्वीट किया उस वीडियो का किसान आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन इसे किसानों के बीच खूब घुमाया गया। कारण ये है कि किसानों को ये बताने की कोशिश की जा रही है कि जैसे रेल अड़ानी की हो जाएगी वैसे ही कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मंग के जरिए किसानों की जमीन हड़प ली जाएगी।
असल में पश्चिमी रेलवे ने एक्स्ट्रा इनकम के लिए वडोदरा में नॉन फेयर रेवेन्यू स्कीम के तहत दस ट्रेनों में विज्ञापन देने के लिए टेंडर जारी किए थे। ये टेंडर अडानी ग्रुप को मिले थे। इसी के बाद फरवरी में अडानी ग्रुप ने अडानी विलमार के फॉर्चून आटे का विज्ञापन वडोदरा की ट्रेन पर पेंट किया था।
वेस्टर्न रेलवे के फेसबुक पेज पर एक फरवरी को विज्ञापन की पेंटिंग वाली ट्रेन के उद्घाटन समारोह की जानकारी दी गई थी। पता ये भी चला है कि इस साल मार्च तक वेस्टर्न रेलवे ज़ोन के वडोदरा डिवीजन ने 37 लोकोमोटिव को Non Fare Revenue स्कीम के तहत 73 लाख 26 हजार रुपये सालाना की दर पर विज्ञापन के लिए दिया था। पांच साल के विज्ञापन के लिए 4 करोड़ 40 लाख रुपये लिए गए। इसी स्कीम के तहत अड़ानी ग्रुप के एडवरटीजमेंट रेल के इंजन पर लगे। चूंकि ये मैसेज काफी वायरल हो गया था इसलिए हमने रेलवे मिनिस्ट्री से भी इसके बारे में पूछा। रेलवे की तरफ से जबाव आया कि ये केवल एक विज्ञापन है और रेलवे के लिए आमदनी का एक जरिया है। न ट्रेन किसी को बेची गई है और न ट्रेन किसी ने खरीदी है। ये सब अफवाह है।
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