बॉडी बिल्डिंग के लिए जुनून चाहिए, जिसके लिए न वक़्त की बंदिशें हो और न टालमटोल। जिसने भी बॉडी बिल्डिंग में हाथ आजमाया, उसने टूटकर जिम में वक़्त बिताया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका काम उनसे दिन के 24 घंटे मांगता है, बावजूद इसके वह जिम के लिए वक़्त निकाल लेते हैं। काम भी जिम्मेदारी भरा। दिल्ली की सुरक्षा का। और ये लोग हैं फिट वर्दीवाले। सान्ध्य टाइम्स संवाददाता रवि भूषण द्विवेदी ने ऐसे कुछ पुलिस वालों का रूटीन जानने की कोशिश की, जिनके काम की व्यस्तता भी उनके जुनून का दम नहीं घोंट सकी। वह कभी वक़्त, तो कभी बेवक्त जिम के दरवाजे पर दस्तक दे देते हैं।हाथ मे प्रोटीन शेक लेकर घूमते हैं SI अखिलनॉर्थ ईस्ट दिल्ली के एन्टी ऑटो थेफ्ट स्क्वाड में काम कर रहे सब इंस्पेक्टर अखिल चौधरी की नौकरी का कोई तय समय नहीं है। किसी भी पुलिसकर्मी के लिए न खाने का तय वक़्त होता है और न घर जाने का। घर में भी वह कितनी देर रुकेगा, गारंटी के साथ कहना मुश्किल है। वह कहते हैं, जिम तो दिन भर में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन प्रोटीन और डाइट का ख्याल रखना पड़ता है। ‘काम से फुरसत मिलने’ जैसा शब्द पुलिस में नहीं होते, क्योंकि अगर किसी अफसर ने काम नहीं दिया, क्राइम नहीं हुआ है, तो पुराना पेंडिंग काम निपटाना ही बड़ी चुनौती बन जाती है। ऐसे में वह अपने साथ प्रोटीन लेकर आते हैं। काम के बीच में ही खाते पीते रहते हैं। क्या खाना है, कैसे खाना है, यह वक़्त और मौसम के हिसाब से बदलता रहता है, लेकिन कभी बाहर से कुछ लेकर खाने पर वह निर्भर नहीं करते हैं। जिम का कोई समय फिक्स नहीं है, लेकिन जिम वाले से उन्होंने चाबियां लेकर रखी हैं, जिससे कभी रात में 12, तो कभी 2 या 3 बजे भी जाकर वह अपना कोटा पूरा कर लेते हैं।मॉडलिंग करते करते आ गए पुलिस के रोल मेंनॉर्थ ईस्ट जिले में अखिल की ही टीम में कॉन्स्टेबल पवित शर्मा हैं, जो 2009 से पुलिस फ़ोर्स का हिस्सा हैं। खाने पीने का रूटीन अखिल की तर्ज पर ही है और बाहर के खाने से तौबा करके रखते हैं। पवित का कहना है कि जंक फूड न खाने की कसम नहीं है, लेकिन कोशिश यही रहती है कि जिसको जहां तक मना किया जा सके, कर दें। वह भी अपने साथ डाइट और प्रोटीन वाले आहार रखते हैं और वक़्त के साथ साथ उसे लेते रहते हैं। पवित का कहना है कि उनके भाई की ही जिम होने से उनको मदद मिल जाती है और वह रात में जब भी वापस आते हैं, तो पहले जिम जाकर वर्कआउट करते हैं। रात में अक्सर वह खुद जिम खोलते हैं और तड़के सुबह तक वर्कआउट करके खुद ताला लगाते हैं। पवित दिल्ली पुलिस के कैलेंडर के लिए भी फोटोशूट करवा चुके हैं।वर्दी फिट करने के चक्कर मे बॉडी बनाकर मिस्टर इंडिया बन गए2006 में भर्ती के बाद बॉडी बिल्डिंग तो सिर्फ वर्दी फिट करने के लिए शुरू की थी। 62 किलो का वजन था तो लगा था कि कम से कम देखकर पुलिस वाला तो लगूं। फिर सिलसिला शुरू हुआ तो बॉडी बनाते रहे और 2015 से प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर बन गए। 2018 और 2019 में दो बार मिस्टर इंडिया बने हैं, जबकि 2 बार मिस्टर नॉर्थ इंडिया रह चुके हैं। हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र झड़ौदा कलां स्थित पुलिस ट्रेंनिग कॉलेज में हैं, जहां वह नए रंगरूटों को ट्रेंनिंग देते है। बॉडी बिल्डिंग के मामले में नरेंद्र ऑल इंडिया टॉप 3 में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 2012 से वह ट्रेंनिंग इंस्ट्रक्टर ही हैं और आगे भी यही रहना है। इससे अपनी बॉडी फिटनेस के लिए भी समय मिल जाता है और नए नए बच्चों को अपने अनुभव भी बताते हैं।ड्यूटी में आराम को बॉडी बनाने में लगायासाल 2015 में भर्ती होने के बाद लोगों में बॉडी बिल्डिंग का कोई क्रेज नहीं था, लेकिन नए नए रंगरूटों को देखकर कॉन्स्टेबल मोहित को भी वर्कआउट का खुमार चढ़ा। भर्ती होने के बाद वर्कआउट का वक़्त तो नहीं था, लेकिन टाइम निकालने से निकलता है। कभी लंच टाइम में लंच करने के बजाय वह जिम करते हैं, तो कभी डिनर टाइम में जिम करने चले जाते हैं। कार्ब, हाइ फाइबर प्रोटीन वाला खाना ही खाते हैं। शुरू में तो सिर्फ इसलिए वर्कआउट किया था कि बाहर से दिल्ली आने वाले लोगों में फिट पुलिस की छवि बने, लेकिन जब करते गए तो अब आदत बन गयी। भर्ती होने के बाद पहली पोस्टिंग फर्स्ट बटालियन की हुई, जहां और यूनिट के बजाय कुछ फुरसत होती है। उस फुरसत को उन्होंने जिम में लगाया। मिस्टर दिल्ली की तैयारी कर रहे कॉन्स्टेबल शिवमएडिशनल डीसीपी नई दिल्ली दीपक यादव के पीएसओ कॉन्स्टेबल शिवम इन दिनों अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद जिम में ही मिलते हैं। सपना मिस्टर दिल्ली बनना है और इसके लिए उन्होंने बॉडी बिल्डिंग को पर्याप्त समय दिया है। शिवम का कहना है कि वह अपने दिन भर की डाइट टिफ़िन में लेकर आते हैं, जिससे उनको बाहर से कुछ न खाना पड़े। इस साल ही वह मिस्टर दिल्ली की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोरोना के कारण कोई कंपटिशन नहीं हुआ। अब उम्मीद है कि 2021 में उनकी मेहनत रंग लाए। शुरू में तो सिर्फ शौकिया बॉडी बिल्डिंग शुरू की थी, लेकिन धीरे धीरे कम्पटीशन के बारे में पता चला और अब वह इसी लिहाज से तैयारी कर रहे हैं।
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