हाइलाइट्स:सीएम अरविंद केजरीवाल ने साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया हैइससे पहले भी आम आदमी पार्टी ने हरियाणा, गोवा, गुजरात और पंजाब में चुनाव लड़ा थापंजाब में पार्टी को 20 सीटें मिलीं, बाकी राज्यों में एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाएनई दिल्लीदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी हिस्सा लेगी। इससे पहले उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर भी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाहर अपने पांव पसारने की कोशिश कर रही है। दिल्ली में लगातार तीन बार सरकार बनाने के बाद से आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी ने यहां बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को धूल चटा दिया लेकिन दिल्ली से बाहर जितनी बार चुनाव लड़ने की कोशिश की है, उतनी बार उसे मुंह की खानी पड़ी है। दिल्ली में पहली बार सरकार बनाने के बाद ही अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी को दिल्ली से बाहर ले गए। मोदी के खिलाफ लड़े केजरीवालसाल 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने देशभर में अपने प्रत्याशी उतारे थे। अरविंद केजरीवाल ने खुद वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकी थी। उन्हें यहां दो लाख से ज्यादा वोट मिले थे और मोदी लहर में भी इतने वोट पाने पर उनके प्रदर्शन को अपेक्षाकृत ठीक माना गया था। आप को इस चुनाव में सिर्फ पंजाब में चार सीटें मिली थीं। जबकि कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव समेत पार्टी के सभी दिग्गज नेता बुरी तरह से चुनाव हार गए थे। इन चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी ने सिर्फ दिल्ली पर ही फोकस करने का निर्णय लिया था।पंजाब में मिली निराशादिल्ली पर ध्यान केंद्रित रखते हुए पार्टी ने प्रदेश में दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव के नतीजों ने हर किसी को चौंका दिया। वादाखिलाफी और मैदान छोड़कर भागने के आरोपों से घिरे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत हासिल कर ली। इस चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हो गए और फिर आप ने साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने का फैसला कर लिया। जोरदार चुनाव प्रचार के बीच आप ने पंजाब में पूर्ण बहुमत लाने का दावा किया था। यह भी पढ़ेंः अरविंद केजरीवाल का ऐलान- दिल्ली की तरह पूरी ताकत से यूपी विधानसभा चुनाव लड़ेगी AAPसर्वे भी कर रहे थे बड़ी जीत का दावाकई सर्वे भी इस बीच राज्य में पार्टी की बढ़त पर मुहर लगा रहे थे लेकिन जब नतीजे आए तब पार्टी को बड़ी निराशा हाथ लगी। आम आदमी पार्टी को यहां सिर्फ 20 सीटें मिलीं। आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत पंजाब में 23.7 प्रतिशत रहा। हालांकि, राज्य में आप दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी। शिरोमणि अकाली दल ने आम आदमी पार्टी से भी कम सीटों पर जीत दर्ज की थी। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि चुनाव में अरविंद केजरीवाल लोगों को यह भरोसा नहीं दिला पाए कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो दिल्ली छोड़कर पंजाब चले आएंगे। यही आम आदमी पार्टी की बुरी तहर हार का कारण बनी।गोवा में एक भी सीट नहींपश्चिमी राज्य गोवा में भी आम आदमी पार्टी ने किस्मत आजमाने की कोशिश की थी। यहां पार्टी के दो दिग्गज नेता आशुतोष और कुमार विश्वास लगातार चुनाव प्रचार में लगे रहे। राज्य में दोनों नेताओं के डेरा जमाए रहने के बावजूद पार्टी को विधानसभा चुनाव के नतीजों से करारा झटका लगा। पार्टी गोवा में एक भी सीट नहीं जीत पाई। अरविंद केजरीवाल समेत दिल्ली सरकार के कई मंत्रियों ने यहां काफी मेहनत की थी। कई सर्वे ने राज्य में आप को तकरीबन 7 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था लेकिन 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में पार्टी के एक भी उम्मीदवार नहीं पहुंच सके। यह भी पढ़ेंः गोवा में एक सीट भी जीतकर इतना क्यों खुश हैं अरविंद केजरीवाल?हरियाणा में हारबीते साल हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने चुनावी ताल ठोकी थी। हरियाणा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का गृहराज्य है लेकिन उनका प्रभाव यहां न के बराबर है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 90 में से 46 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन पार्टी का एक भी उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल नहीं रहा। पार्टी के ज्यादातर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। हरियाणा में 50 फीसदी से ज्यादा सीटों पर लड़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चुनाव से दूर रहा। अरविंद केजरीवाल एक बार भी चुनाव प्रचार के लिए हरियाणा नहीं आए। इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने जेजेपी के साथ मिलकर हरियाणा की कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका।गुजरात में बत्ती गुलगुजरात के साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए आम आदमी पार्टी ने जोर-शोर के साथ तैयारी की थी लेकिन जब चुनाव का वक्त आया तो सिर्फ 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। पार्टी को यहां से न सिर्फ एक भी सीट नहीं मिली बल्कि कई प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। कई सीटों पर आप उम्मीदवारों को 400 से भी कम वोट मिले। बहुत कम उम्मीदवारों ने हजार वोटों का आंकड़ा पार किया।
Disclaimer: This post has been auto-published from an agency/news feed without any modifications to the text and has not been reviewed by an editor.
Source link