Photo:FILE PHOTO Govt plans third tranche of Bharat Bond ETF this fiscal
नई दिल्‍ली। सरकार भारत बांड ईटीएफ की तीसरी किस्त चालू वित्त वर्ष में ही लाने की तैयारी कर रही है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी। यह एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बांड में निवेश करता है। सूत्र ने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) की करीब 12,000 करोड़ रुपये का कोष जुटाने की योजना है। हमारा इरादा भारत बांड ईटीएफ की अगली किस्त अगले कुछ माह में पेश करने का है।
भारत बांड ईटीएफ की दूसरी किस्त को जुलाई में पेश किया गया था और इसे तीन गुना से अधिक का अभिदान मिला था। इसके जरिये 11,000 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। दिसंबर, 2019 में इसकी पहली किस्त के तहत 12,400 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई थी। बांड ईटीएफ के जरिये जुटाए गए कोष से इसमें भाग लेने वाले सीपीएसई या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज लेने की योजना सुगमता से पूरी होती है। इससे उन्हें अपने पूंजीगत खर्च को भी पूरा करने में मदद मिलती है।
भारत बांड ईटीएफ ने अपनी दूसरी किस्त के तहत पांच साल और 12 साल की परिपक्वता का विकल्प दिया था। पहली किस्त में परिपक्वता का विकल्प तीन और 10 साल था। ईटीएफ फिलहाल एएए रेटिंग वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बांड में ही निवेश करता है।
बैंकों में 14,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने पर चौथी तिमाही में करेगा फैसला
वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में शेष 14,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के बारे में चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में फैसला करेगा। सूत्रों ने बताया कि पहली छमाही के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद यह तथ्य सामने आया है कि 12 सरकारी बैंकों में से पंजाब एंड सिंध बैंक को नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए 5,500 करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत है। ऐसे में सरकार ने पिछले महीने इक्विटी शेयरों के तरजीही आवंटन से पंजाब एंड सिंध बैंक में पूंजी डालने की मंजूरी दी है।
बीते वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया था। हालांकि, 2020-21 के बजट में सरकार ने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई थी, क्योंकि उसका मानना था कि बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से बाजार से पैसा जुटा लेंगे। बीते वित्त वर्ष में पंजाब नेशनल बैंक को 16,091 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,768 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 6,571 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक को 2,534 करोड़ रुपये की पूंजी मिली थी। इनके अलावा इलाहाबाद बैंक को 2,153 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1,666 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक को 200 करोड़ रुपये की पूंजी मिली थी। इन बैंकों का अब अन्य बैंकों में विलय हो चुका है। साथ ही बैंक ऑफ बड़ौदा को 7,000 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक को 4,360 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 2,142 करोड़ रुपये, पंजाब एंड सिंध बैंक को 787 करोड़ रुपये तथा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 3,353 करोड़ रुपये की पूंजी सरकार की ओर से मिली थी।
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