भारत-ऑस्ट्रेलिया की कंपनियां रहीं टारगेट कास्परस्काई में ग्लोबल रिसर्च एंड एनालिसिस टीम के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के डायरेक्टर विताली काम्लुक ने हाल ही में खुलासा किया है कि 2020 में इस क्षेत्र की कम से कम 61 कंपनियां रैनसमवेयर के लक्षित हमलों का शिकार हुई हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा भारत और ऑस्ट्रेलिया ने ऐसे मामले दर्ज करवाए हैं। उन्होंने कहा है, ‘लक्षित रैनसमवेयर कई एशियाई कंपनियों के लिए समस्या है। अकेले एशिया में इसके जरिए 61 से ज्यादा कंपनियों के डाटा को निशाना बनाया हया। कुछ मामलों में मेज रैनसमवेयर गैंग ने जिम्मेदारी ली है और पीड़ित कंपनी से चुराए गए डाटा को जारी कर दिया है।’ दबाव बनाने की नई रणनीति साइबर सिक्योरिटी कंपनी के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि ‘रैनसमवेयर 2.0’ तो अब कंपनियों के डाटा चुराने से भी आगे निकल चुका है। अब ये कंपनियों की ‘डिजिटल प्रतिष्ठा’ का आंकलन करने लगे हैं और उसी के मुताबिक उन कंपनियों से मोटी रकम की उगाही करने के लिए धमकाना भी शुरू कर दिया है। इसके लिए वो दबाव बनाने की रणनीति अपनाते हैं और उन्हें चोरी की गई डाटा को ऑनलाइन लीक करने की बात कहकर वसूली की कोशिश करता है। कास्परस्काई के मुताबिक, ‘साइबर क्रिमिनल अब पीड़ितों को धमकाते हैं कि उनकी चोरी की गई बहुमूल्य और संवेदनशील डाटा को उसी कंपनी की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर देंगे।’ विताली काम्लुक का कहना है कि दबाव की यह रणनीति निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के लिए बहुत ही गंभीर खतरा है। साइबर घुसपैठियों को दिख गया उगाही का नया रास्ता कास्परस्काई के एक हालिया सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के 51 फीसदी यूजर्स इस बात पर राजी हैं कि कंपनियों की ऑनलाइन प्रतिष्ठा बहुत ही महत्वपूर्ण है, जबकि, 48 फीसदी का कहना है कि जो कंपनी विवादों में फंस जाती है या जिनके बारे में निगेटिव खबरें होती हैं, उनको वो नजरअंदाज करते हैं। कास्परस्काई ने कहा है, ‘मेज ग्रुप सबसे ज्यादा ऐक्टिव है और सबसे ज्यादा खतरनाक भी। 2019 के गर्मियों में बना और सिर्फ 6 महीने के भीतर कई कारोबारों के खिलाफ पूर-जोर अभियान छेड़ दिया। इसके पहले शिकार 2019 के नवंबर में सामने आए जब इसने पीड़ित का 700एमबी इंटरनल डाटा ऑनलाइन लीक कर दिया।’ इसने कम से कम 334 कंपनियों और संस्थाओं के साइबर स्पेस में घुसपैठ की है। काम्लुक का कहना है कि मेज ग्रुप ने इस गोरखधंधे को बंद करने की बात तो कही है, लेकिन इस क्षेत्र के कई साइबर घुसपैठियों को एक नया रास्ता दिखा दिया है। इन कंपनियों को लगाया सबसे ज्यादा चूना कास्परस्काई के डाटा के मुताबिक इन साइबर घुसपैठियों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र की जिन कंपनियों को सबसे ज्यादा चूना लगाया है वो हैं- कपड़े, जूते, फर्निचर, कंज्यूमर इलेक्ट्रोनिक्स एंड होम एप्लिएंसेज। इसके अलावा पब्लिक सर्विसेज, मीडिया एंड टेक्नोलॉजी, हेवी इंडस्ट्री (ऑयल, माइनिंग, शिपब्लिडिंग, स्टील, केमिकल्स, मशीनरी मैन्युफैक्चरिंग ), कंसल्टिंग, फाइनेंस और लॉजिस्टिक्स को भी इसने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।
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