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वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मास्क में किए गए बदलावों और उनके प्रभाव का मूल्यांकन किया।
न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मास्क में किए गए बदलावों और उनके प्रभाव का मूल्यांकन किया और पाया कि नायलॉन से बने 2 परतों वाले मास्क सामान्य मास्क के मुकाबले ज्यादा कारगर हैं। इस स्टडी को करने वालों में अमेरिका स्थित यूनिवसिर्टी ऑफ नॉर्थ कैरोलाइना (UNC) से सबद्ध स्कूल ऑफ मेडिसीन के भी वैज्ञानिक शामिल थे। उन्होंने अपनी स्टडी में पाया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान चेहरे को ढंकने के लिए कई नए उपकरण और मास्क इस दावे के साथ बनाए गए हैं कि वे पारंपरिक मास्क के मुकाबले कोरोना वायरस के संक्रमण से बेहतर तरीके से बचाव करते हैं।
नायलॉन की परत जोड़ने से और प्रभावी होता है मास्क
हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि इन मास्क या चेहरे को ढंकने वाले उपकरणों के प्रभाव का बहुत कम मूल्यांकन हुआ है। जेएमएए इंटरनल मेडिसीन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने विभिन्न तरह के मास्क का मूलयांकन उन्हें पहनने वालों के वायरस से संपर्क में आने के आधार पर किया। रिसर्चर्स के मुताबिक, सर्जिकल मास्क हवा में मौजूद वायरस को दूर रखने में 38.5 प्रतिशत तक कारगर है लेकिन जब इसे कान पर विशेष तरीके से और कसकर बांधा जाता है तो इसकी क्षमता में सुधार होता है और यह 60.3 प्रतिशत तक संक्रमण से रक्षा कर सकता है। उन्होंने बताया कि जब सर्जिकल मास्क में नायलॉन की परत जोड़ी जाती है तो यह 80 प्रतिशत तक प्रभावी हो जाता है।
95 प्रतिशत तक कारगर होता है एन-95 मास्करिसर्च पेपर के सहलेखक और यूएनसी में कार्यरत इमिली सिकबर्ट बेनेट ने कहा कि वायरस की मात्रा का कम करना महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक वायरस के संपर्क में आने से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा भी अधिक होता है। अध्ययन में पाया गया कि सूती कपड़े से बना मास्क केवल 49 प्रतिशत कारगर है जबकि एन-95 मास्क वायरस से 95 प्रतिशत तक रक्षा करता है। रिसर्चर्स के मुताबिक, मास्क में नाक के पास दबाने के लिए क्लिप की उपस्थिति और सूती और नायलॉन से बने मास्क को धोने से उनकी क्षमता में सुधार होता है।
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