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Home » किसानों की आड़ में ‘असामाजिक तत्व’ उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं: तोमर

किसानों की आड़ में ‘असामाजिक तत्व’ उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं: तोमर

Press24 News by Press24 News
December 12, 2020
in राज्य एवं शहर
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Image Source : ANI
Narendra Singh Tomar, Agriculture Minister.

            नयी दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को दावा किया कि किसानों की आड़ में कुछ ‘‘असामाजिक तत्व’’ उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने आंदोलन कर रहे संगठनों से ऐसे तत्वों को अपना मंच प्रदान न करने की अपील की। 

तोमर ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘किसानों की आड़ में असामाजिक तत्व उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। मेरी किसान भाइयों से अपील है कि वे सजग रहें एवं ऐसे असामाजिक तत्वों को अपना मंच प्रदान न करें।’’ गौरतलब है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। 

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तोमर ने ट्वीट के साथ एक मीडिया रिपोर्ट भी साझा की जिसमें राजधानी के टिकरी बॉर्डर स्थित किसानों के एक प्रदर्शन स्थल पर दिल्ली दंगों के आरोप में गिरफ्तार कुछ कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग वाले पोस्टरों का जिक्र है। इन मांगों वाले पोस्टर लिए किसानों की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन ‘‘गैरराजनीतिक’’ है। 
जानिए किसान नेताओं ने क्या कहा?
सिंघू बार्डर पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि उन्होंने कई नेताओं को अपने मंच का इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान कई आरोपों में गिरफ्तार उमर खालिद और सुधा भारद्वाज सहित कुछ लेखकों व बुद्धिजीवियों की रिहाई की मांग वाले पोस्टरों के सामने आने के बारे में पूछे जाने ने किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें इस बारे में ठोस जानकारी नहीं है कि टिकरी बॉर्डर पर क्या हुआ। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाने का किसानों का अपना तरीका हो। ज्ञात हो कि राजधानी के सिंघू बॉर्डर, गाजीपुर और चिल्ला सहित कुछ अन्य सीमाओं पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग दो सप्ताह से किसान आंदोलन कर रहे हैं। खालिद को गत सितंबर महीने में दिल्ली दंगों में उनकी कथित भूमिका को लेकर लगे आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 
बहरहाल, तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी मांगों के मद्देनजर सरकार के साथ उनके प्रतिनिधियों से चर्चा जारी है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘किसानों की आपत्ति पर निराकरण का प्रस्ताव भी किसान यूनियन को भेजा गया है और आगे भी सरकार चर्चा के लिए तैयार है।’’ प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। 
बता दें कि, किसान संगठनों की अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पाई है। तोमर ने कहा कि उनके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बार-बार कहा है कि एमएसपी की व्यवस्था चलती रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष भी एमएसपी पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है। एमएसपी को हमने ही डेढ़ गुना किया है। अगर एमएसपी को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘नए कृषि सुधार कानूनों से एपीएमसी मंडी में लगने वाला कमीशन देने को बाध्य नहीं होंगे किसान। उन्हें अपनी फसल के लिए अपनी मर्जी से मंडी और दाम चुनने की पूरी आजादी होगी।’’ 
तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन कर किसानों को वार्ता के लिए फिर से आमंत्रित किया था। इस दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध के पीछे कोई और शक्तियां मौजूद हैं, तोमर ने इस प्रश्न का कोई सीधा जवाब नहीं दिया और कहा ‘‘मीडिया की आँखें तेज हैं और हम इसका पता लगाने का काम उस पर छोड़ते हैं।’’ ठीक इसी सवाल के संदर्भ में गोयल ने कहा, ‘‘इसका पता लगाने के लिए प्रेस को अपनी खोजी क्षमता और दक्षता का उपयोग करना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि किसानों के कुछ मुद्दे हैं। हम किसानों का सम्मान करते हैं और उन्होंने हमारे साथ चर्चा की। हमने उन मुद्दों को संबोधित करने की कोशिश की जो चर्चा के दौरान सामने आए। यदि मौजूदा प्रस्ताव के बारे में अन्य कोई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा की जानी चाहिए या उन पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। 
सरकार के प्रस्तावों को खारिज करते हुए किसान संगठनों ने बुधवार को कहा था कि वे अपने आंदोलन को तेज करेंगे तथा राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाले राजमार्गो को बाधित करेंगे क्योंकि सरकार की पेशकश में कुछ भी नयी बात नहीं है। मंत्रियों के संवाददाता सम्मेलन के बाद, बृहस्पतिवार को किसान नेताओं ने धमकी दी कि यदि सरकार अपने तीन कानूनों को रद्द नहीं करती तो रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध किया जायेगा। 
सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के बारे में किसानों का दावा है कि इन कानूनों का उद्देश्य कृषि उत्पाद की खरीद के लिए मंडी प्रणाली तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को कमजोर कर कॉर्पोरेट घरानों को लाभान्वित करना है। केन्द्र सरकार के कानून में कुछ संशोधन करने, एमएसपी और मंडी व्यवस्था जैसे मुद्दों पर लिखित आश्वासन अथवा स्पष्टीकरण देने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए किसान संगठन इन नए कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। सरकार ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की संभावना से बृहस्पतिवार को एक तरह से इनकार करते हुए किसान समूहों से इन कानूनों को लेकर उनकी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार के प्रस्तावों पर विचार करने की अपील की थी।

Disclaimer: This post has been auto-published from an agency/news feed without any modifications to the text and has not been reviewed by an editor.

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