विशेष संवाददाता, सुप्रीम कोर्टबेनामी संपत्ति जब्त करने संबंधित कानून बनाने का निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विधायिका का रोल नहीं ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाए जाने को लेकर दाखिल पीआईएल पर सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह ब्लैक मनी और आय से अधिक संपत्ति और बेनामी संपत्ति को जब्त करने केलिए कानून बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद का काम है कानून बनाए। हम इसके लिए आदेश नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता व बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय को इस बात की इजाजत दी है कि वह लॉ मिनिस्ट्री के सामने इस बारे में रिप्रजेंटेशन दे सकते हैं ताकि इस बात की संभावना देखी जा सके कि क्या अवैध संपत्ति या ब्लैक मनी को जब्त करने के लिए मौजूदा कानून में सशोधन हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दो बातें बताना चाहते हैं। विधायिका और कार्यपालिका है और जूडिशियरी को स्क्रूटनी करनी है। आप जूडिशियल विंग को नहीं कह सकते कि वह तमाम रोल को अपने हाथों में ले ले। अदालत ने कहा कि संविधान इसकी परिकल्पना नहीं करता है। अश्विनी उपाध्याय की PIL को कोर्ट ने सराहासुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय के अच्छे पीआईएल की सराहना की और कहा कि आपने कई अच्छे पीआईएल दाखिल किए हैं लेकिन साथ ही कहा कि ये पीआईएल पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन है। अदालत ने कहा सॉरी ये पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन है। आपने कुछ अच्छे काम किए हैं लेकिन इस अर्जी पर विचार नहीं हो सकता। अश्विनी उपाध्याय के वकील गोपाल शंकर नारायणन ने ब्लैक मनी और बेनामी संपत्ति का मुद्दा उठाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कुछ सालों पहले राम जेठमलानी ने भी यही मुद्दा उठाया था। कोल ब्लॉक घोटाला एक लाख करोड़ का था लेकिन सजा तीन साल की हुई है।तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को कानून बनाना है हम इसके लिए निर्देश जारी नहीं कर सकते कि सरकार कानून बनाए। इन बातों के लिए कोर्ट आने की प्रवृति ठीक नहीं है। आप अपनी गुहार देखें। ये काम कोर्ट का नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस बात की इजाजत दे दी कि वह अर्जी वापस कर सकते हैं और लॉ मिनिस्ट्री के सामने रिप्रजेंटेशन दे सकते हैं।
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