हाइलाइट्स:नंदीग्राम सीट से टीएमसी से बीजेपी में आए शुभेंदु अधिकारी का उम्मीदवार होना तयममता बनर्जी पहले ही नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैंशुभेंदु पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में नंबर दो की पोजिशन मेंनई दिल्लीपश्चिम बंगाल में पहले फेज के लिए उम्मीदवार तय करने पर बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने गुरुवार देर रात तक चर्चा की। एक -दो दिन में लिस्ट जारी हो सकती है। मीटिंग में सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने पर कोई चर्चा नहीं की गई। हालांकि कई सांसद पार्टी नेतृत्व के सामने चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं।ममता भवानीपुर सीट से विधायकबीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि जीत की काबिलियत एकमात्र पैमाना है जिसके आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। प्रदेश ईकाई की तरफ से हमने सुझाव दे दिए हैं और अब नेतृत्व इस बारे में फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि सांसदों को चुनाव लड़ाने का कोई सुझाव नहीं आया। सूत्रों के मुताबिक नंदीग्राम सीट से टीएमसी से बीजेपी में आए शुभेंदु अधिकारी का उम्मीदवार होना लगभग तय है। ममता बनर्जी पहले ही नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। अभी ममता भवानीपुर सीट से विधायक हैं। बदल सकती है बीजेपी की रणनीतिममता बनर्जी 2016 में यहां से 25,000 से ज्यादा वोटों से जीती थीं। तब उन्होंने कांग्रेस के सीनियर नेता प्रियरंजन दास मुंशी की बेटी दीपा दास मुंशी को हराया था। बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो कह चुके हैं कि ममता अगर भवानीपुर सीट से भी चुनाव लड़ती हैं तो वह उन्हें चुनौती देने को तैयार हैं। हालांकि अब तक किसी सांसद को चुनाव लड़ाने पर चर्चा नहीं हुई है। लेकिन ममता अगर दो सीटों से चुनाव लड़ती हैं तो बीजेपी की रणनीति बदल सकती है। नंदीग्राम में हो सकता है ममता बनाम शुभेंदुनंदीग्राम में ममता का मुकाबला शुभेंदु से हो सकता है। शुभेंदु पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में नंबर दो की पोजिशन में थे लेकिन उन्होंने ममता बनर्जी को झटका देते हुए बीजेपी जॉइन कर ली। वे पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक पावरफुल नाम हैं और नंदीग्राम आंदोलन के सूत्रधार रहे हैं। शुभेंदु 2007 में पूर्वी मिदनापुर से लेकर नंदीग्राम में इंडोनेशिया की एक रसायनिक कंपनी के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। उनके नाम से ही 2007 में तृणमूल कांग्रेस के नंदीग्राम आंदोलन का जिक्र होता है। इस आंदोलन के बाद ही तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में दशकों से सत्ता पर काबिज लेफ्ट की सरकार को परास्त किया था।
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