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किसानों के ‘भारत बंद’ को इस बड़ी पार्टी ने किया पूरा समर्थन देने का ऐलान
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिनन किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को आहूत ‘भारत बंद’ के प्रति कांग्रेस ने रविवार को पूरा समर्थन जताया और घोषणा की कि इस दिन वह किसानों की मांगों के समर्थन में सभी जिला एवं राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि आठ दिसंबर को पूरी ताकत के साथ ‘भारत बंद’ किया जाएगा।
यहां कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस आठ दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और ‘किसान सम्मेलन’ के जरिए किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद करते रहे हैं। खेड़ा ने कहा, ‘‘हमारे सभी जिला मुख्यालय एवं प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे। वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सारी दुनिया हमारे किसानों की दयनीय अवस्था देख रही है। पूरा विश्व यह भयावह मंजर देख रहा है कि किसान जाड़े की रातों में राजधानी के बाहर बैठे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उनकी बात सुन ले।’’
कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा कि पार्टी ‘सरकार के क्रूर अत्याचारों और प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों’ के बावजूद ‘जन विरोधी कानूनों’ के खिलाफ किसानों के प्रतिबद्धतापूर्ण और अडिग ऐतिहासिक संघर्ष में उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा, ‘‘आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ के संदर्भ में सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को अपने राज्यों में बंद, उससे संबंधित गतिविधियों तथा प्रदर्शनों में पूरा समर्थन देने को कहा गया है।’’
वेणुगोपाल ने कहा कि सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियां और जिला कांग्रेस कमेटियां देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को किसानों के बंद के आह्वान में समर्थन के लिए एकजुट करेंगी। इस बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कथित तौर पर कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा, लेकिन यदि जरूरी हुआ तो कानूनों में कुछ संशोधन किये जाएंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘अगर किसानों के लिए जवाब ‘नहीं’ है तो मोदी सरकार राष्ट्र को बेवकूफ क्यों बना रही है?’’
खेड़ा ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि सरकार को कानूनों को लागू करने की इतनी जल्दी क्या थी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोविड-19 महामारी के बीच, जून में सरकार चोरी छिपे अध्यादेश ले आई। इतनी जल्दी किस बात की थी। जब पूरे देश का ध्यान कोविड-19 के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों पर था तब सरकार अपने उद्योगपति-कॉर्पोरेट मित्रों की मदद करने के लिए चोरी-छिपे अध्यादेश लाने में व्यस्त थी।’’ खेड़ा ने कहा कि सरकार ने किसानों को भरोसे में नहीं लिया और अब किसानों के हितों की आड़ में छिप रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपको वाकई में किसानों के हितों की चिंता होती तो आपने इन विधेयकों को लाने से पहले उनकी सलाह ली होती।’’
खेड़ा ने आगे कहा, ‘‘जो कुछ भी आज देखने को मिल रहा है वह सरकार और उसके कॉर्पोरेट मित्रों के बीच की साजिश का नतीजा है जिसमें पीड़ित किसान ही होगा और किसान इस बात को जानता है।’’ शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच वार्ता बेनतीजा रही। पांच चरणों की बातचीत हो चुकी है तथा अगली बैठक केंद्र ने नौ दिसंबर को बुलाई है। खेड़ा ने कहा, ‘‘नये कानूनों के साथ आपने एपीएमसी (कृषि उत्पाद विपणन समिति) के ढांचे पर ही प्रहार कर दिया है और इस तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी हमला हुआ है। एपीएमसी प्रणाली एमएसपी का समर्थन करती है। एपीएमसी प्रणाली नहीं होने पर एमएसपी कैसे रहेगी? आप एमएसपी कैसे देंगे?’’ उन्होंने कहा कि इसलिए किसानों की मांगें और आशंकाएं पूरी तरह जायज हैं।
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