चीन ने मारी चांद पर जबर्दस्त छलांग पृथ्वी के वायुमंडल में वापस प्रवेश करने के बाद चीन का यह यान दिसंबर में ही उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया के स्वायत्त क्षेत्र सिजिवांग बैनर में धरती पर उतरेगा। शनिवार को चांग ई-5 ने चांद पर अपने मिशन का अहम काम पूरा किया और चांद की मिट्टी और चट्टान के नमूने को साथ लेकर पृथ्वी पर उतरने के लिए रवाना हो गया। चीन चांद की सतह से ताजा नमूना उठाकर धरती की ओर रवाना होने को अपने इस मिशन की बड़ी कामयाबी मान रहा है। चाइनीज लुनर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम ने इस मिशन को सफल तो माना है, लेकिन अब तक इसके बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी ही। 23 नवंबर को शुरू हुआ था मिशन इससे पहले चाइनीज लुनर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम ने इस बात की पुष्टि की है कि सैंपल कंटेनर ऐस्सेंट व्हीकल से री-इंट्री कैप्सुल में स्थांतरित कर दिया गया है। चीन की स्पेस एजेंसी की ओर से चांग ई-5 ऑर्बिटर से ली गई इसकी कुछ तस्वीरें भी जारी की गई हैं। इस चंद्रयान को चीन के लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट के जरिए 23 नवंबर को लॉन्च किया गया था, जिसमें चार मुख्य स्पेसक्राफ्ट भी लगे थे। 28 नवंबर को ही यह मिशन चांद की कक्षा में पहुंच गया और 1 दिसंबर को लैंडर और ऐस्सेंट व्हीकल चांद की सतह पर उतर गया। जबकि, इसका सर्विस मॉड्यूल चांद की ही कक्षा में रहा। शनिवार को लैंडर ने चांद की सतह से चट्टान और मिट्टी के नमूने जुटाए और सर्विस मॉड्यूल के जरिए ऑर्बिट में पहुंचा दिया गया। बाद में उन नमूनों को धरती पर भेजने के लिए रिटर्न कैप्सुल में डाल दिया गया। चांद से नमूना लेने वाला तीसरा देश बना चीन धरती पर सुरक्षित पहुंचने के साथ ही चीन अमेरिका और रूस के बाद चांद की सतह से नमूना लाने वाला दुनिया का तीसरा देश बन जाएगा। अमेरिका के अपोलो मिशन ने 50 साल से भी ज्यादा पहले यह सफलता प्राप्त की थी। जबकि, सोवियत संघ के लूना 24 मिशन को यह कामयाबी 1976 में ही हाथ लग गई थी। यही नहीं इस मिशन में चीन ने चांद पर अपने देश का एक झंडा भी गाड़ा है और ऐसा करने वाला वह अमेरिका के बाद दूसरा देश बन चुका है। 1969 में अपोलो मिशन ने यह सफलता पाई थी। वैसे अमेरिका की सफलता बहुत बड़ी थी, जिसके आसपास भी आजतक कोई नहीं फटक पाया है। उसने वहां 1969 से 1972 के बीच 6 अंतरिक्ष यानों में 12 अंतरिक्ष यात्रियों को उतारा था और 382 किलो नमूना धरती पर मंगवाए थे। वैसे चीन का यह अंतरिक्ष यान चांद पर उतरने वाला 21वीं सदी का तीसरा अंतरिक्ष यान भी बन चुका है।
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