सुनाई कारगिल जंग की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने केबीसी में अमिताभ बच्चन के साथ करगिल युद्ध को याद करते हुए बताया, हम टाइगर हिल द्रास सेक्टर में लड़ रहे थे। ये सबसे ऊंची चोटी थी। दोनों तरफ आतंकवादियों के बंकर थे। यहां हम कई घंटे तक लड़े। मुझ पर ग्रेनेड फेंका गया और फायरिंग हुई। मैं बुरी तरह से घायल हुआ, मेरे साथी मेरी आंखों सामने शहीद हो गए। दुशम्नों ने हमें चारों तरफ से घेर लिया। हम पर गोलियां चलाई गईं लेकिन किस्मत थी कि ऊपर छाती वाली पॉकेट में रखे पर्स में पांच रुपए के सिक्के भी थे। गोली उन सिक्कों से टकराई। तब मैंने अपने पास पड़े हैंड ग्रेनेड से पिन निकालकर उन पर ऊपर फेंका। इससे पाकिस्तानी सैनिकों में खलबली मच गई। तभी मैंने एक हाथ से राइफल उठाई और 4-5 पाक सैनिकों को मार गिराया। योगेंद्र सिंह को लगी थीं कई गोलियां साल 1999 में हुए करगिल युद्ध में दुश्मनों से टकराव के दौरान योगेंद्र सिंह यादव के शरीर में कई गोलियां लग थीं और लंबे समय तक उनका इलाज चला था। यादव 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के सैनिक हैं। बता दें कि योगेंद्र सिंह यादव शादी के 20 दिन बाद युद्ध के लिए चले गए थे। उनकी पत्नी ने बताया कि ड्यूटी से योगेंद्र सिंह ने लेटर भेजा था जिसमें उन्होंने लिखा था, राइटिंग पर ध्यान मत देना पत्थर पर पेपर को रख कर लिखा है। संजय सिंह ने भी बताई अपनी कहानी सूबेदार संजय सिंह ने भी करगिल युद्ध के दौरान अपनी शौर्य की कहानी सुनाई और बताया कि दुश्मनों का मुकाबला करते वक्त वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनकी राइफल में गोलियां खत्म हो गई थीं। इस बीच संजय कुमार को टांगों में दो गोलियां और पीठ में एक गोली लगी। ऐसी स्थिति में भी हौसला न खोकर संजय सिंह और पूरी टीम ने दुश्मनों से लोहा लिया। उन्होंने हार नहीं मानी और दुश्मनों को धूल चटा दी। 25 लाख जीतकर किए दान परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव और परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने केबीसी में 25 लाख रुपए जीते। दोनों ने इस रकम को खुद लेने की बजाय आर्मी वेलफेयर फंड में दान कर दिया। मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने इस दौरान कहा कि सिर्फ वर्दी पहनकर देश की सेवा नहीं होती। जो शख्स जिस भी क्षेत्र में काम कर रहा है, वहां राष्ट्र को सबसे पहले रख कर निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं, वो एक राष्ट्रवाद है।
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