KBC के ग्रैंड फिनाले में पहुंचे सेना के शूरवीर केबीसी 12 के ग्रैंड फिनाले में अमिताभ बच्चन ने कारगिल युद्ध के शहीदों को भी नमन किया। अमिताभ ने सभी शहीदों और देश के सैनिकों को सैल्यूट किया और फिर गेम शुरू किया। आपको बता दें कि अपने जीवनकाल में ही परम वीर चक्र से सम्मानित होने वाले सेना के तीन योद्धा आज भी जीवीत हैं। KBC के ग्रैंड फिनाले एपिसोड में पहुंचे सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव और सूबेदार संजय सिंह उनमें से दो शूरवीर हैं, और तीसरे शूरवीर सूबेदार मेजर बाना सिंह (Subedar Major Bana Singh) हैं। बाना सिंह ने दिया अदम्य साहस का परिचय बता दें कि इसी महीने 6 जनवरी को सूबेदार मेजर बाना सिंह ने अपना 72वां जन्मदिन मनाया। बाना सिंह एक लीविंग लीजेंड हैं और उनका पराक्रम आज भी सैनिकों के लिए एक मिसाल है। बाना सिंह का जन्म 6 जनवरी 1949 को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के कादयाल गांव में हुआ था। बाना सिंह को सेना में मानद कैप्टन की उपाधि मिली हुई है, उन्हें यह सम्मान सन 1987 में उस समय दिया गया जब उन्होंने हाइएस्ट वॉर जोन सियाचिन को पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे से आजाद कराने के लिए लड़ी गई लड़ाई में अदम्य साहस का परिचय दिया। ‘राष्ट्रपति को सबसे पहले सलामी देने का अधिकार’ आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी सूबेदार मेजर बाना सिंह ही गणतंत्र दिवस पर परेड का नेतृत्व करने और राष्ट्रपति को सबसे पहले सलामी देने का अधिकार मिला हुआ है। सन 1987 में पाकिस्तान के साथ लड़ी गई लड़ाई में बाना सिंह ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे, उन्होंने पाकिस्तान की हर चाल को नाकाम कर दिया था। लड़ाई में जिस चतुराई और पराक्रम का उन्होंने परिचय दिया, उसके लिए भारत सरकार की तरफ से उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। सियाचिन की चोटी पर पाकिस्तान ने किया था कब्जा बात 23-24 जून 1987 की है जब पाकिस्तान ने सियाचिन में 21153 फीट की ऊंचाई पर एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन (एजीपीएल) पर कब्जा कर लिया था। उस दौरान सेना ने पाकिस्तान को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन राजीव (Operation Rajiv 1987) लॉन्च किया। यह जगह इतनी बर्फीली है कि यहां सांस लेना भी दूभर हो जाता है। बता दें कि यह स्थान भारत के लिए बहुत अहम है, यहां पाकिस्तान और चीन की सीमाएं मिलती हैं। जून 1987 में पाकिस्तान की आर्मी ने भारत की सीमा में अपनी एक पोस्ट तैयार कर ली थी। -30 डिग्री तापमान में भी बढ़ती रही भारतीय सेना भारतीय क्षेत्र से पाकिस्तानी सेना को पीछे खदेड़ने के लिए सूबेदार मेजर बाना सिंह ने खुद यह जिम्मा संभाला। बाना सिंह ने अपने चार साथियों के साथ उस दिशा में चढ़ाई की जहां पाकिस्तान ने कब्जा किया था। जिस समय बाना सिंह ने ऑपरेशन शुरू किया उस समय तापमान जीरो से भी 30 डिग्री नीचे गिरा हुआ था और हवाएं भी तेज चल रही थीं। इन सभी मुश्किलों से लड़ते हुए बाना सिंह ने रात के अंधेरा का फायदा उठाते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया। बाना सिंह ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा इस बीच बाना सिंह अपने साथियों को लेकर चोटी के ऊपर तक पहुंचने में कामयाब हो गए और उन्होंने पाकिस्तानी पोस्ट पर ग्रेनेड फेंकने शुरू कर दिए। अचानक हुए हमले के लिए पाकिस्तान तैयार नहीं था और उसके कई सैनिक मारे गए। इस दौरान कुछ पाक कमांडोज ने चौकी छोड़कर भागने में ही अपनी भलाई समझी। इस तरह से बाना सिंह ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान को धूल चटाई और कब्जे वाली वह चौकी भारत के पास वापस आ गई।
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