नई दिल्ली कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध अब भी जारी है। शुक्रवार को 11वें दौर की बातचीत से पहले किसानों ने सरकार की ओर से डेढ़ साल तक कृषि कानूनों को लागू न करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। किसानों की ओर से लिए गए इस फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी, देश का किसान जाग चुका है। आप कब जागेंगे ? देशभर में 147 अन्नदाताओं की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसान संगठनों की ओर से सरकार का लॉलीपॉप ठुकरा देना उनके जाग उठने का बिगुल है। फिर मत कहना, बताया नहीं।’’ इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ रोज़ नए जुमले और ज़ुल्म बंद करो, सीधे-सीधे कृषि-विरोधी क़ानून रद्द करो!’’ किसान संगठनों ने बृहस्पतिवार को तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन संबंधी केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया। सरकार ने बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में किसान संगठनों के समक्ष तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। दोनों पक्षों ने 22 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया था। उधर हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े कारपोरेट घरानों की ‘कृपा’ पर रहना पड़ेगा। हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है।
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