इंटरनेट डेस्क। गुरुवार 14 जनवर को मकर संक्राति पर्व मनाया जाएगा। पूरे देश में ये पर्व अलग-अलग रंग और रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में जहां इस पर पोंगल का रंग चढ़ता है वहीं उत्तर पूर्वी राज्यों में बिहु के रूप में। हर राज्य की अपनी परम्परा है। किसी के लिए तिल-गुड़ के बिना यह त्योहार अधूरा है, तो कहीं दाल-चावल और तिल दान का महत्व होता है। वहीं, इस दिन खिचड़ी बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
तो आइये इस पोस्ट के माध्यम से आज हम जानते हैं कि आखिर मकर संक्रांति पर्व पर खिचड़ी बनाने और दान करने का क्या महत्व और परम्परा है।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते है। इस दिन खरीफ की फसलों चावल, चना, मूंगफली, गुड़, तिल उड़द इन चीजों से बनी सामग्री से भगवान सूर्य और शनि देव की पूजा की जाती है। चावल और उड़द की दाल से खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में लोग एक दूसरे को वितरित करते हैं।
- पाचन क्षमता कमजोर होने पर भी यह आहार आसानी से पच जाता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, इसलिए बीमारी में मरीजों को इसे खिलाया जाता है, क्यों उस वक्त पाचन शक्ति कमजोर होती है।
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दाल, चावल, सब्जियों और मसालों से तैयार की गई खिचड़ी काफी स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होती है, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण देती है। इसके माध्यम से एक साथ सभी पोषक तत्व प्राप्त किए जा सकते हैं।
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अक्सर कब्ज या अपच की स्थिति में खिचड़ी खाना फायदेमंद होता है और आरामदायक भी। इसे खाने के बाद पेट में अतिरिक्त भारीपन नहीं लगता और जल्दी पाचन भी हो जाता है।
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घी, दही, नींबू या अचार के साथ अलग-अलग फायदे भी देती है, जैसे घी डालकर खाने से शक्ति भी मिलती है और प्राकृतिक चिकनाई भी, दही के साथ यह कई गुना फायदेमंद होती है और नींबू से विटामिन सी के साथ अन्य फायदे देती है।
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कफ, फीवर, कमजोरी होने पर खिचड़ी खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है और बॉडी जल्दी हील कर पाती है। खिचड़ी बॉडी को डिटॉक्स करने का काम भी करती है।
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